Satbir Dhull

संगति का असर

संगति का असर
संगति का असर (Sangati ka Asar) ज़िन्दगी के किसी भी पहलू पर हमें प्रभावित कर सकता है। School में बिना सोचे समझे बच्चों का अपनी संगति को चुनना उन्हें किस प्रकार सीख दे देती है, एक छोटे से कस्बा का बच्चा आशीष इसका उदाहरण है।

आशीष जिसने अभी – अभी 10th Class पास करके 11th Class में Admission ली थी। New School में जाने के लिए बहुत ही Excited हो रहा था। New School के साथ – साथ New Friends जब भी वह ये सब सोचता तो उसकी ख़ुशी दोगुनी हो जाती थी।

वह घर में एकलौता बच्चा था, जिसे अभी तक बड़े लाड – प्यार से पाला गया था। जिस School में उसकी Mummy Principal थीं, उसी School में वह Nursery से लेकर 10वीं Class तक पढ़ा था। जिस वजह से उसकी सारी ख़बर खासकर उसकी शरारतों की ख़बर उसकी Mummy को मिलती ही रहती थी। 

लेकिन अब वो जिस School में पढ़ने जा रहा है, उस School को लेकर उसकी mummy के मन में चिंता बनी हुई थी क्योंकि अभी तक तो वो उनकी निगरानी में अच्छी संगति में था और ये संगति का असर ही था कि वो 10th क्लास में 98% लेकर पास हुआ था। अब आगे न जाने क्या होगा?  

School कल सुबह 8 बजे का है लेकिन अगर आशीष का बस चले तो वह अभी ही चला जाए। आज की रात इस Excitement में उसे नींद ही नहीं आ रही थी। 

हालाँकि mummy के द्वारा उसे पहले ही चेतावनी दे दी गई थी कि, “देखो आशीष!!! किसी से फालतू बात नहीं करनी, अपने काम से काम से रखना है और अच्छी संगति में रहना है ताकि तुम्हारे ऊपर अच्छी संगति का असर हो।”   

स्कूल कैसा होगा? नए Friends कैसे होंगे? पता नहीं कोई उससे बात करेगा भी या नहीं? बस यही सब सोचते हुए न जाने कब उसकी आँख लग जाती है और उसे पता भी नहीं चलता।

सुबह – सुबह mummy की डाँट और आधी रोटी खाने के बाद वह School की ओर दौड़ लगा देता है। वैसे तो उसका School उसके घर से ज्यादा दूर नहीं था लेकिन 5 minute में 1 kilometer की दूरी तय करना कोई मामूली बात नहीं थी और ये Target उसके प्यारे आलस की मेहरबानी थी। 

लेकिन जो भी हो वो जैसे – तैसे School पहुँचता है। अब School के Gate के अन्दर जाते हुए उसकी रात वाली वो सारी Excitement पता नहीं कहाँ भाग जाती है और उसकी जगह एक बेचैनी और डर उसके मन में बैठ जाता है। 

वह सहमा हुआ पहले तो Gate के बाहर से अन्दर की और झाँकता है, फिर कुछ हिम्मत बटोरकर अभी अपना पहला ही कदम अन्दर रखता है कि पीछे से कोई उसके कंधे  पर हाथ रख देता है। वह एकदम से घबराकर पीछे मुड़ता है तो देखता है कि एक लम्बा – चौड़ा लड़का उसे देखकर मुस्कुरा रहा है।

पहले तो आशीष को बहुत गुस्सा आता है कि, “बताओ ज़रा!! एक तो मैं School के पहले ही दिन Late हो गया हूँ और ऊपर से यह लड़का मुझे देखकर हँस रहा है।” इससे पहले की वो कुछ और सोच पाता वह लड़का बोलने लगता है। “अरे! इतना क्यों घबरा रहे हो?

School वाले गोली थोड़ी ना मार देंगे। चलो मेरे साथ।”

वह School के Gate से अन्दर जाते ही सीधे रास्ते पर ना चलकर दाहिने ओर बने साईकिल स्टैंड के पीछे से उसे ले जाता है। पहले तो आशीष को थोड़ा डर लगता है कि ये मुझे कहीं और तो नहीं ले जा रहा? फिर उसे mummy की दी हुई चेतावनी याद आने लगती है कि, “देखो आशीष!!! किसी से फालतू बात न………  

तभी इतनी देर में उसका Class Room आ जाता है। वहाँ जाकर उसे पता चलता है कि School Late आने वालों को Punishment दी जाती है। जिसके बारे में दो लड़के आपस में बात कर रहे थे कि कैसे उन्हें कल Late आने पर Punishment दी गई थी। 

वह राहत की साँस लेकर बोलता है कि, “क्या यार mummy भी न फालतू की ही Tension लेते रहते हैं। मुझे तो पहले ही दिन कितना अच्छा Friend मिल गया, जिसने मुझे Punishment से बचा लिया।”

आशीष और आर्यन में गहरी दोस्ती हो जाती है। एक दिन आशीष Homework करके नहीं आता तो आर्यन उसे पीछे बुला लेता है। फिर वो दोनों चुपके से Madam से नज़रे बचाकर Class से Bunk मार लेते हैं। 

School Late आना और Homework न करने पर Class से Bunk मार लेना अब तो ये उनका रोज़ का काम हो गया था। अब आशीष पर आर्यन की संगति का असर होने लगता है और School Late आना,  Homework न करने पर Class से Bunk मार लेना उसका रोज़ का काम हो जाता है। 1 – 2 बार तो Madam उसे आर्यन के साथ न रहने की सलाह देती हैं। लेकिन जब वह नहीं मानता तो वह भी उसे समझाना छोड़ देती हैं। 

फिर एक दिन आर्यन School नहीं आता। आशीष School तो आता है लेकिन अपनी आदत से मजबूर Daily की तरह आज भी वह स्कूल Late ही पहुँचता है। Gate पर आर्यन को न देखकर पहले तो वह घबरा जाता है कि आज तो आर्यन भी नहीं है अब वो बचकर Class में कैसे जाए?

फिर कुछ हिम्मत करके वह Gate के अन्दर जाता है तो Gate के बगल में Security Guard से बात करती हुई Principal Madam उसे पकड़ लेती हैं। फिर Punishment में उससे Playground साफ़ करवाया जाता है। उसे बहुत शर्म आती है। 

फिर Class में Maths वाली Teacher आज Surprise Checking करती हैं और Homework न करके आने वाले बच्चों को हाथ ऊपर करके Class के बाहर खड़ा कर देती हैं और आशीष उनमें सबसे आगे होता है क्योंकि हर बार की तरह उसे बचाने वाला उसका Friend आज School नहीं आया था और ऐसी चालाकियाँ उसे नहीं आती थी और आर्यन के होते हुए उसने इन्हें सीखना ज़रूरी नहीं समझा था। 

आज घर जाते हुए उसे बहुत पछतावा होता है कि क्यों उसने mummy की बात नहीं मानी।

वह क्यों बुरी संगत में पड़ गया। आज उसे सभी के सामने Punishment मिलना संगति का असर था। School से घर जाते हुए वह कसम खाता है कि अब वो कभी भी आर्यन से बात नहीं करेगा और इसी दृढ़निश्चय के साथ वह घर चला जाता है।  

 

निष्कर्ष: हमें इस कहानी (संगति का असरSangati ka asar) से यह सीख मिलती है कि हमें अपनी संगत सोच – समझकर चुननी चाहिए। ज़रूरी नहीं कि हमारी मदद करने वाला हर कोई व्यक्ति हमारा भला ही चाहता हो। वह आर्यन की तरह एक बार तो हमें सज़ा से बचा लेगा लेकिन आने वाले समय में हमारे लिए उससे भी बड़ी मुश्किलें खड़ी देगा। 

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