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श्री राम जी की जन्मभूमि - अयोध्या ( राम मन्दिर )

श्री राम

सनातन धर्म के अनुसार, अभी तक चार युग हुए हैं। जिनके नाम हैं – 

  1. सतयुग 
  2. त्रेतायुग 
  3. द्वापर युग 
  4. कलयुग (जो अभी चल रहा है) 

इनमें से दूसरे युग ‘त्रेतायुग’ में भगवान विष्णु श्री राम जी के रूप में अवतार लेकर इस धरती पर आए थे। उन्होंने राजा दशरथ जी के पुत्र के रूप में जन्म लिया था। जिस जगह उनका राज्य था आज वह भूमि भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के ‘अयोध्या’ शहर के नाम से प्रसिद्ध है। 

श्री राम जी की जन्मभूमि का इतिहास 

प्राचीन भारतीय साम्राज्य कोशल की राजधानी का नाम ‘अवध’ था, जिसे कुछ समय बाद ‘अयोध्या’ के नाम से जाना जाने लगा और बौद्धकाल में अयोध्या नामक स्थान ‘साकेत’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ। 

भगवान श्री राम जी के पूर्वज ‘विवस्वान’ (सूर्य) के पुत्र ‘वैवस्वत मनु’ द्वारा श्री राम जी की जन्मभूमि अयोध्या नगरी को बसाया गया था, उसी समय से अयोध्या नगरी पर सूर्यवंशी राजाओं ने राज किया। जो द्वापर युग के महाभारतकाल तक कायम रहा। श्री राम के पिता राजा दशरथ भी एक सूर्यवंशी राजा थे।

भगवान श्री राम ने जब जल समाधि ली तो उनके साथ ही अयोध्या नगरी सरयू नदी में समा गई। सिर्फ़ अयोध्या नगरी की वीरान भूमि ही बची थी। जिसे राजा कुश जोकि भगवान श्री राम के पुत्र थे, उन्होंने दोबारा अयोध्या का निर्माण किया।

इसके बाद सूर्यवंशियों ने अगली 44 पीढ़ियों तक राज किया। जिनमें आखिरी राजा थे –  महाराजा बृहद्बल। जिनकी मृत्यु अभिमन्यु के हाथों महाभारत के युद्ध में हुई थी। 

‘भविष्य पुराण’ के अनुसार ईसा के लगभग 100 वर्ष पहले उज्जैन के चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य ने उजड़ चुकी अयोध्या का एक बार फिर निर्माण करवाया। उन्होंने अयोध्या में सरयू नदी के किनारे लगभग 360 मन्दिर बनवाए। राजा विक्रमादित्य भगवान विष्णु के परम भक्त थे और अपने भक्ति भाव को दर्शाने के लिए उन्होंने श्री राम जी की जन्मभूमि पर एक भव्य मन्दिर और उसके साथ सरोवर, महल और कुआँ भी बनवाया।

राजा विक्रमादित्य के बाद भी अन्य राजाओं ने इस मन्दिर देखभाल की थी। वे राजा थे – 

पुष्यमित्र शुंग

‘पुष्यमित्र शुंग’ शुंग वंश के पहले राजा थे, इन्होंने भी इस मन्दिर की मरम्मत करवाकर दो अश्वमेध यज्ञ करवाए थे। अयोध्या में पुष्यमित्र के एक शिलालेख में उनके सेनापति द्वारा इसका ज़िक्र मिलता है।

चन्द्रगुप्त द्वितीय 

कई अभिलेखों के अनुसार गुप्तवंश के राजा ‘चन्द्रगुप्त द्वितीय’ के समय और उसके बाद भी काफ़ी समय तक गुप्त साम्राज्य की राजधानी अयोध्या को ही बनाया गया। 

600 ईसा पूर्व के आस – पास अयोध्या एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था। श्री राम जी की जन्मभूमि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 5वीं शताब्दी में पहचाना गया, जब यह एक मुख्य बौद्ध केंद्र के रूप में उभरा। उस समय तक अयोध्या का नाम साकेत पड़ चुका था। 

फिर 7वीं शताब्दी में ‘ह्वेन त्सांग’ नाम का एक चीनी यात्री भारत आया। उसके अनुसार इस जगह पर 3,000 भिक्षु एवं 20 बौद्ध मन्दिर मौजूद थे। इसके अलावा इधर (अयोध्या में) हिन्दुओं का एक भव्य मन्दिर था, जहाँ हज़ारों लोग रोज़ाना दर्शन करने आया करते थे।

राजा नरेश जयचंद

फिर 11वीं शताब्दी में कन्नौज का राजा ‘नरेश जयचंद’ आया, जिसने अयोध्या के इस मन्दिर पर सम्राट विक्रमादित्य के प्रशस्ति शिलालेख को उखाड़कर अपना नाम लिखवा दिया। फिर पानीपत के युद्ध के बाद जयचंद का अंत हो गया। 

इसके बाद से भारत पर लगातार हमले होने लगे। इन हमलावरों ने मथुरा, काशी के साथ – साथ अयोध्या में भी लूटपाट की। जिसमें पुजारियों की हत्याएँ और मूर्तियों को तोड़ा जाने लगा। किन्तु 14वीं सदी तक वह श्री राम जी की जन्मभूमि अयोध्या के इस भव्य राम मन्दिर को नहीं तोड़ सके।

सिकंदर लोदी के समय भी यह मन्दिर मौजूद था। परन्तु मुगलों के आगमन के बाद से ही  श्री राम जी की जन्मभूमि – अयोध्या को नष्ट करने के लिए कई आक्रमण किए गए। 

आख़िरकार श्री राम जी की जन्मभूमि पर मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के आदेश पर उसके सेनापति ‘मीर बकी’ ने सन् 1527 – 28 में अयोध्या के इस भव्य मन्दिर को तोड़कर इसके स्थान पर ‘बाबरी मस्जिद’ को बनवाया। 

 

अयोध्या मन्दिर और बाबरी मस्जिद विवाद

हिन्दुओं द्वारा सबसे पहले सन् 1853 में  श्री राम जी की जन्मभूमि पर अयोध्या के इस मन्दिर को तोड़कर मस्जिद के निर्माण का आरोप लगाया गया। यह मुद्दा हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच पहली हिंसापूर्ण झड़प का कारण बना। 

फिर इस झड़प के कुछ समय बाद सन् 1857 की क्रांति में, जब बहादुरशाह जफर का शासन था। बाबा ‘रामचरण दास’ ने एक मौलवी ‘आमिर अली’ के साथ मिलकर  श्री राम जी की जन्मभूमि पर के उद्धार के लिए कोशिश की। 

किन्तु कुछ कट्टरपंथी मुस्लिमों और अंग्रेजों द्वारा 18 मार्च 1858 को उन दोनों को ‘कुबेर टीले’ के एक इमली के पेड़ पर फाँसी दे दी गई। 

इसके विवाद के कारण ब्रिटिश शासकों द्वारा सन् 1859 में अयोध्या की इस विवादित जगह पर बाड़ लगा दी गई तथा इसके बाहरी हिस्से में हिन्दुओं और अन्दर के हिस्से में मुसलमानों को प्रार्थना करने की इजाज़त दे दी गई।

न्यायालय में गुहार 

इस मामले को पहली बार एक हिन्दू महंत ‘रघुबीर दास’ ने 19 जनवरी 1885 को फैजाबाद के Judge ‘पण्डित हरिकिशन’ के सामने रखा था। उन्होंने इस मामले की सुनवाई में, प्रभु श्री राम जी की जन्मभूमि होने के कारण अयोध्या में मस्जिद की जगह पर मन्दिर बनवाने का फ़ैसला सुनाया। 

फिर वर्ष 1947 में भारत सरकार मस्जिद के Main Door पर Lock लगा देती है। सरकार मुसलमानों को तो विवादित स्थल (Disputed Area) से दूर रहने के Order देती है लेकिन श्री राम जी की जन्मभूमि पर हिन्दू भक्तों को दूसरी जगह से Entry करने की इजाज़त दे देती है।

जिसके कुछ समय बाद ही सन् 1949 में अयोध्या मन्दिर की यह कहानी एक रोमांचक मोड़ लेती है, जब एक दिन अचानक मस्जिद के अन्दर भगवान श्री राम की मूर्तियाँ पाई जाती हैं। मुसलमान इस बात का विरोध करते हुए मस्जिद में मूर्तियाँ रखने का आरोप हिन्दूओं पर लगाते हैं। 

फिर दोनों पक्षों द्वारा सन् 1950 में ‘गोपाल विशारद’ और ‘रामचंद्र दास’ तथा ‘निर्मोही अखाड़ा’ अयोध्या के इस ढाँचे के भीतर श्री राम की पूजा की इजाज़त और उनकी मूर्ति श्री राम जी की जन्मभूमि रखने के लिए और सन् 1961 में ‘यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड’ Disputed Area पर कब्ज़ा लेने और ढाँचे के भीतर से मूर्तियाँ हटाने के लिए Firozabad Civil Court में मुकदमा दायर किया जाता है। जिसके बाद सरकार इस ढाँचे पर ताला लगा देती है। 

कुछ हिन्दु सन् 1984 में भगवान श्री राम जी की जन्मभूमि को ‘मुक्त’ कराने और वहाँ श्री राम जी के मन्दिर का निर्माण कराने के उद्देशय से अयोध्या में ‘विश्व हिन्दू परिषद’ के नेतृत्व में एक समिति का गठन करते हैं। बाद में भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता ‘लालकृष्ण आडवाणी’ के नेतृत्व में इस अभियान का मोर्चा संभाला जाता है।

जब Faizaabad District Magistrate के Judge K M Pandey 1 फरवरी 1986 को श्री राम जी की जन्मभूमि – अयोध्या की इस पवित्र भूमि पर हिन्दुओं को पूजा करने के लिए विवादित मस्जिद के दरवाज़े पर लगे ताले को खोलने का आदेश देते हैं, तब मुसलमानों द्वारा इसके विरोध में सन् 1986 में ‘बाबरी मस्जिद संघर्ष समिति’ बनाई जाती है।

अयोध्या मन्दिर का शिलान्यास 

‘विश्व हिन्दू परिषद’ द्वारा श्री राम जी की जन्मभूमि – अयोध्या में भव्य मन्दिर के निर्माण के लिए अभियान को तेज़ किया जाता है और Disputed Area के पास सन् 1989 में राम मन्दिर की नींव रख दी जाती है।

 Allahabad High Court भी इसी साल Disputed Area के Main Doors को खोलने और इस स्थान को हमेशा के लिए हिन्दुओं को देने के Order दे देती है। 

बावजूद इसके 30 अक्टूबर 1990 को हज़ारों रामभक्त श्री राम जी की जन्मभूमि – अयोध्या में मुख्यमंत्री ‘मुलायमसिंह यादव’ द्वारा मस्जिद के सुरक्षा में खड़ी की गईं अनेक बाधाओं को लाँघकर अयोध्या में  घुस गए और भगवा रंग के ध्वज को विवादित ढाँचे के ऊपर फहरा दिया।

परन्तु 2 नवंबर 1990 को श्री राम जी की जन्मभूमि पर ‘मुलायम सिंह यादव’ ने कार सेवकों पर गोली चलाने का Order दे दिया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अयोध्या के इस महासंग्राम में अपने जीवन का बलिदान दे दिया। 

‘सरयू नदी का तट’ रामभक्तों की लाशों भर गया। इस हत्याकांड के पश्चात अप्रैल 1991 को उत्तरप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री ‘मुलायम सिंह यादव’ को Resign देना पड़ा।इसके बाद 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कारसेवा हेतु लाखों रामभक्त पहुँचे और बाबरी मस्जिद के ढाँचे को ढहा दिया गया, जिसके फलस्वरूप पूरे देश में दंगे शुरू हो गए। 

श्री राम जी की जन्मभूमि – अयोध्या के इस विवाद के लिए विश्व हिन्दू परिषद के नेता ‘अशोक सिंघल’, भाजपा नेता ‘आडवाणी’, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री ‘कल्याण सिंह’, ‘मुरली मनोहर जोशी’ और मध्यप्रदेश की पूर्व सीएम ‘उमा भारती’ सहित 13 नेताओं पर आपराधिक साज़िश करने के लिए मुकदमा चलाने की मॉंग की गई।

बाबरी मस्जिद विध्वंस 

विवादित ढाँचा गिराए जाने के समय श्री राम जी की जन्मभूमि – अयोध्या पर ‘कल्याण सिंह’ की सरकार थी। उस दिन सुबह करीब 10.30 बजे लाखों की संख्या में कारसेवकों का जमावड़ा लगने लगा। फिर दोपहर में 12 बजे के करीब कारसेवकों का एक दल मस्जिद की दीवार पर चढ़ जाता है। 

इस भीड़ को संभालना मुश्किल हो जाता है। दोपहर 3 बजकर 40 मिनट पर पहला गुंबद भीड़ द्वारा तोड़ दिया जाता है और 4 बजकर 55 मिनट तक पूरा ढाँचा गिरा दिया जाता है। भीड़ उस जगह पर पाठ – पूजा करके ‘राम शिला’ की स्थापना कर देती है और श्री राम जी की जन्मभूमि – अयोध्या को उसका खोया जुआ सम्मान वापिस दिला देती है। 

हिन्दू – मुस्लिम दंगे 

श्री राम जी की जन्मभूमि – अयोध्या में 27 फरवरी 2002 को बाबरी मस्जिदतोड़ी गई थी। जिसके बदले के रूप में एक आगजनी की घटना घटती है। इस दिन गुजरात के गोधरा शहर में हिन्दू कारसेवकों को ले जा रही एक Train में आग लगा दी जाती है, जिसमें लगभग 58 लोगों की मृत्यु हो जाती है। 

इसकी वजह से गुजरात में दंगे भड़क जाते हैं और लगभग 2 हजार से ज़्यादा लोग मारे जाते हैं। मौजूदा हालत देखते हुए Allahabad High Court अयोध्या की इस विवादित जमीन के मालिकाना हक पर सुनवाई करके अप्रैल 2002 को श्री राम जी की जन्मभूमि हिंदुओं को सौंप देती है।

इसके बाद 30 सितंबर 2010 को Allahabad High Court 2 – 1 Judges की Majority के बाद श्री राम जी की जन्मभूमि पर स्थित इस विवादित संपत्ति को तीन दावेदारों के बीच बाँटने का फैसला करती है और जन्मभूमि समेत एक – तिहाई हिस्सा हिंदुओं, एक – तिहाई हिस्सा निर्मोही अखाड़े और तीसरा हिस्सा मुस्लिम पक्ष को देने का Order देती है।

लेकिन Supreme Court कई याचिकाओं को देखने के बाद मई 2011 में High Court के इस फ़ैसले पर रोक लगा देती है। Supreme Court की Custody में श्री राम जी की जन्मभूमि – अयोध्या पर मध्यस्थता की कोशिशें की जाने पर भी इस विवाद का हल नहीं निकलता।

श्री राम जी की जन्मभूमि का अंतिम फ़ैसला 

आख़िरकार तत्कालीन Chief Justice ‘रंजन गोगोई’ की अगुवाई में Supreme Court की पाँच सदस्यीय संविधान पीठ 40 दिनों की Marathon सुनवाई के बाद 16 अक्टूबर 2019 को अयोध्या के दशकों पुराने इस कानूनी विवाद पर फैसला सुनाती है।

अंत में 9 नवंबर 2019 को वह ऐतिहासिक दिन आता है जब Supreme Court सदियों पुराने इस विवाद का सदा के लिए निपटारा कर देती है। 

Supreme Court संपूर्ण विवादित परिसर पर भगवान रामलला का मालिकाना हक दे देती है और श्री राम जी की जन्मभूमि – अयोध्या पर भव्य मन्दिर के निर्माण के लिए नरेंद्र मोदी की Central Government को तीन महीने के अन्दर एक Trust बनाने की ज़िम्मेदारी देती है। 

Court मस्जिद बनाने के लिए Government को मुस्लिम पक्ष को भी अयोध्या में किसी महत्वपूर्ण जगह पर 5 एकड़ ज़मीन देने का Order देती है।

राम मन्दिर की आधारशिला और भूमिपूजन  

‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट’ 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण के लिए भूमि पूजन और आधारशिला का कार्यक्रम तय करती है। 

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस संघ चालक मोहन भागवत, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और साधु – संतों समेत 175 लोगों को श्री राम जी की जन्मभूमि – अयोध्या में पधारने का न्यौता दिया जाता है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अयोध्या पहुँचकर सबसे पहले हनुमानगढ़ी के दर्शन करते हैं, फिर अयोध्या में बनने वाले राम मन्दिर के भूमि – पूजन कार्यक्रम में शामिल होते हैं। राम मन्दिर निर्माण के लिए पहले 9 शिलाओं का पूजन किया जाता है और चाँदी की कन्नी से नींव रखी जाती है। 

राम मन्दिर कब तक बनेगा?

अयोध्या में श्री राम जी की इस जन्मभूमि पर स्थित इस भव्य मन्दिर का निर्माण कार्य तेज़ी से चल रहा है और यह अनुमान लगाया जा रहा है कि दिसंबर 2023 तक यह बनकर तैयार जाएगा। Home Minister अमित शाह द्वारा दिए गए एक बयान के मुताबिक अयोध्या में भगवान श्री राम जी का मन्दिर 1 जनवरी 2024 तक बनकर तैयार हो जाएगा और मकर संक्राति के शुभ अवसर पर भगवान श्री राम जी की मूर्ति की स्थापना की जाएगी। 

कितना भव्य होगा?

‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट’ के अनुसार अयोध्या में श्री राम जी के इस भव्य मन्दिर को बनाने के लिए लगभग 1800 करोड़ रुपए खर्च किए जाएँगे।

अयोध्या के इस मन्दिर परिसर को लगभग 70 Acre में बनाया जाएगा (बाद में इसे 108 Acre तक बढ़ाने की बात की जा रही है), जिसमें 10 Acre  के Area में सिर्फ़ मन्दिर को ही बनाया जाएगा। 

श्री राम जी की जन्मभूमि पर स्थित इस मन्दिर को भव्य बनाने के लिए विशेष प्रबंध किए गए हैं। जैसे:-

  • इस मन्दिर की ऊँचाई 161 फीट होगी।
  • जिसमें 5 गुम्बद और एक शिखर बनाया जाएगा। 
  • 3 Floor के इस मन्दिर में Ground Floor पर 160, First Floor पर 132 और Second Floor पर 74 pillar बनेंगे। 
  • लगभग 2 लाख ईंटों से इस मन्दिर की नींव भरी जाएगी। इन सभी ईंटों पर ‘श्री राम’ लिखा होगा। 

इसके अलावा एक गर्भ गृह और  5 मंडप बनाए जाएँगे – 

  1. कुडू मंडप
  2. नृत्य मंडप
  3. रंग मंडप
  4. कीर्तन मंडप
  5. प्रथम मंडप

मन्दिर परिसर 

अयोध्या में श्री राम जी की जन्मभूमि पर दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मन्दिर परिसर के अन्दर बहुत से भवन और कक्ष बनाए जाएँगे। जैसे:-

  1. तीर्थयात्री सुविधा केंद्र 
  2. म्यूज़ियम 
  3. रिसर्च सेंटर 
  4. ऑडिटोरियम 
  5. प्रशासनिक भवन
  6. मैदान में पुजारियों के लिए कमरे

निष्कर्ष:- श्री राम जी की जन्मभूमि – अयोध्या पर बाबर द्वारा राम मन्दिर का तोड़ा जाना और उसके बाद सन् 1527 में से लेकर वर्तमान समय तक लगभग 77 युद्ध और सैकड़ों दंगे हो चुके हैं, जिनमें लाखों श्रद्धालुओं / कारसेवकों की जानें गईं। 

इन सभी के बलिदान के बाद कारण ही अब जाकर अयोध्या में श्री राम जी का भव्य मन्दिर बनाया जा सका है। जो कुछ ही समय में पूरा हो जाएगा और हिन्दुओं को अयोध्या में श्री राम जी के दर्शन और पूजा – अर्चना करने का मौका मिलेगा।

अयोध्या में इस मन्दिर का बनना एक और वजह से भी बहुत महत्वपूर्ण था और वह वजह थी – ‘हिन्दुओं का एक सुप्रसिद्ध धार्मिक स्थल का न होना।’ जैसे:- ‘Golden Temple’ सिखों का एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है, ‘मक्का’ मुसलमानों का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। 

ठीक उसी तरह अब श्री राम जी की जन्मभूमि – अयोध्या पर राम मन्दिर बन जाने के बाद यह हिन्दुओं का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल कहलाएगा।  

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